नो कास्ट ईएमआई (No cost EMI meaning in hindi)
जब भी हम कोई भी इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट खरीदने जाते हैं चाहे वह ऑनलाइन हो या हमारे नजदीकी स्टोर में हो।तब हम नो कॉस्ट ईएमआई के बारे में अक्सर सुनते हैं।आज इस लेख के माध्यम से हम नो कॉस्ट ईएमआई (No cost EMI meaning in hindi) के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करेंगे।
अमेजॉन और फ्लिपकार्ट जैसे ऑनलाइन सेलर में नो कॉस्ट ईएमआई को भारतीय मार्केट में प्रचलित किया है। अभी कई सारे दुकानदार भी अपने खरीदारों को नो कॉस्ट ईएमआई पे वस्तूए खरीदने की सहूलियत देते हैं।
नो कॉस्ट ईएमआई क्या है ? (no cost emi meaning in hindi)
अक्सर हम नो कॉस्ट ईएमआई के बारे में सुनते हैं। यह सुविधा अभी लगभग छोटे-बड़े सभी दुकानों-मॉल में शुरू हो चुकी है।
लेकिन इसे इंडियन मार्केट में फ्लिपकार्ट अमेजॉन जैसे ऑनलाइन सेलर्स ने उपलब्ध करवाया था।
जो भी लोग नो कॉस्ट ईएमआई के बारे में जानते हैं, उनमें से अधिकांश लोगों को नो कॉस्ट ईएमआई मतलब बिना ब्याज़ का ईएमआई लगता है।
लेकिन रिजर्व बैंक के नियम के अनुसार भारत में अगर कोई भी ईएमआई होता है तो उसे पर ब्याज लेना अनिवार्य है।रिजर्व बैंक तो कहता है की ईएमआई पर ब्याज लगेगा और दुकानदार हमसे बोलते है कि नो कॉस्ट ईएमआई पर खरीद लो तो कोई ब्याज़ नहीं लगेगा।तो दोनों में से हम किसकी बात सुनेंगे?
नो कॉस्ट ईएमआई कैसे काम करता है? (no cost emi meaning in hindi)
इस नो कॉस्ट ईएमआई को हम एक उदाहरण के साथ आसानी से समझेंगे।
मान लो हम किसी स्टोर में टीवी खरीदने गए हैं और हमारा बजट है 30000 रुपए। अभी स्टोर में जाने के बाद हमें 48000 का टीवी पसंद आ गया है,लेकिन हमारा बजट तो ₹30000 है। तो ऐसे समय में दुकानदार या मॉल का एग्जीक्यूटिव हमें नो कॉस्ट ईएमआई करने की सलाह देता है।
नो कॉस्ट ईएमआई के माध्यम से हम ₹30000 का डाउन पेमेंट भरकर बचे हुए 18000 रुपए 3 से 24 किस्तों में भर सकते हैं।या फिर पूरे 48000 रुपए 3 से 24 किस्तों में भी भर सकते हैं। अगर हमने ₹30000 का डाउन पेमेंट कर दिया और 18000 रुपए नो कॉस्ट ईएमआई करवाए है, तो हमें हर महीने ₹3000 ईएमआई के माध्यम से भुगतान करने होंगे।
और अगर हमने 48000 की पूरी राशि को नो कॉस्ट ईएमआई में तब्दील किया है,तो हमें ₹8000 हर महीने ऐसे 6 महीने तक बैंक को देने होंगे।
अभी आप यह सोचोगे कि इसमें तो मेरे सिर्फ 48000 ही खर्च हुए है, तो मुझे इसमें ब्याज कहां पर लगा इसमें तो हमारा फायदा ही हुआ।
लेकिन यह पूरी तरह से सच नहीं है। अगर हम क्रेडिट कार्ड से नो कॉस्ट ईएमआई करते हैं तो क्रेडिट कार्ड के स्टेटमेंट में हमें इस ईएमआई की राशि प्रिंसिपल अमाउंट और इंटरेस्ट ऐसी अलग-अलग दिखाई देती है। इसका मतलब बैंक हम से ब्याज लेता है।
आखिर बैंक ऐसा क्यों करता है ? रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने 2013 में एक सर्कुलर जारी किया था। इस सर्कुलर के मुताबिक शून्य प्रतिशत ब्याज़ की कोई भी संकल्पना नहीं है। रिज़र्व बैंक कहता है की बैंक क्रेडिट कार्ड द्वारा दिए जानेवाले नो कॉस्ट ईएमआई को गलत तरीके से पेश किया जाता है। प्रोसेसिंग फी के नाम पर ब्याज लिया जाता है।
नो कॉस्ट ईएमआई पे GST –
भारत सरकार के अनुसार ईएमआई से मिलनेवाले ब्याज बैंक का फ़ायदा होने के कारन इस ब्याज पे हमें GST देनी पड़ती है।
जब भी आप क्रेडिट कार्ड से नो कॉस्ट ईएमआई की सुविधा लेते हो, तो अपने क्रेडिट कार्ड के स्टेटमेंट में GST की राशि भी देख पाएंगे। यह GST बैंक हम से जो ब्याज ले रहा है ,उस राशि पे निर्भर करती है। ब्याज पर 18 % GST देनी पड़ती है।