2025 में नो कॉस्ट ईएमआई क्या है ? जानें इसका पूरा मतलब और फायदे | No cost EMI meaning in hindi

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नो कास्ट ईएमआई (No cost EMI meaning in hindi)

जब भी हम कोई भी इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट खरीदने जाते हैं चाहे वह ऑनलाइन हो या हमारे नजदीकी स्टोर में हो।तब हम नो कॉस्ट ईएमआई के बारे में अक्सर सुनते हैं।आज इस लेख के माध्यम से हम नो कॉस्ट ईएमआई (No cost EMI meaning in hindi) के बारे में पूरी जानकारी प्राप्त करेंगे।

अमेजॉन और फ्लिपकार्ट जैसे ऑनलाइन सेलर में नो कॉस्ट ईएमआई को भारतीय मार्केट में प्रचलित किया है। अभी कई सारे दुकानदार भी अपने खरीदारों को नो कॉस्ट ईएमआई पे वस्तूए खरीदने की सहूलियत देते हैं।

नो कॉस्ट ईएमआई के लिए दुकानदार बैंक की सहायता लेते हैं। बैंक के साथ कई सारे एनबीएफसी भी नो कॉस्ट ईएमआई की सुविधा लोगों को उपलब्ध कराते हैं।
नो कॉस्ट ईएमआई क्या है? नो कॉस्ट ईएमआई कैसे काम करता है? नो कॉस्ट ईएमआई के फायदे एवं नुकसान क्या होते हैं? इन सारी चीजों की जानकारी हमें से लेकर माध्यम से प्राप्त करेंगे।

नो कॉस्ट ईएमआई क्या है ? (no cost emi meaning in hindi)

अक्सर हम नो कॉस्ट ईएमआई के बारे में सुनते हैं। यह सुविधा अभी लगभग छोटे-बड़े सभी दुकानों-मॉल में शुरू हो चुकी है।

लेकिन इसे इंडियन मार्केट में फ्लिपकार्ट अमेजॉन जैसे ऑनलाइन सेलर्स ने उपलब्ध करवाया था।

जो भी लोग नो कॉस्ट ईएमआई के बारे में जानते हैं, उनमें से अधिकांश लोगों को नो कॉस्ट ईएमआई मतलब बिना ब्याज़ का ईएमआई लगता है।

लेकिन रिजर्व बैंक के नियम के अनुसार भारत में अगर कोई भी ईएमआई होता है तो उसे पर ब्याज लेना अनिवार्य है।रिजर्व बैंक तो कहता है की ईएमआई पर ब्याज लगेगा और दुकानदार हमसे बोलते है कि नो कॉस्ट ईएमआई पर खरीद लो तो कोई ब्याज़ नहीं लगेगा।तो दोनों में से हम किसकी बात सुनेंगे?

नो कॉस्ट ईएमआई कैसे काम करता है? (no cost emi meaning in hindi)

इस नो कॉस्ट ईएमआई को हम एक उदाहरण के साथ आसानी से समझेंगे।

मान लो हम किसी स्टोर में टीवी खरीदने गए हैं और हमारा बजट है 30000 रुपए। अभी स्टोर में जाने के बाद हमें 48000 का टीवी पसंद आ गया है,लेकिन हमारा बजट तो ₹30000 है। तो ऐसे समय में दुकानदार या मॉल का एग्जीक्यूटिव हमें नो कॉस्ट ईएमआई करने की सलाह देता है।

नो कॉस्ट ईएमआई के माध्यम से हम ₹30000 का डाउन पेमेंट भरकर बचे हुए 18000 रुपए 3 से 24 किस्तों में भर सकते हैं।या फिर पूरे 48000 रुपए 3 से 24 किस्तों में भी भर सकते हैं। अगर हमने ₹30000 का डाउन पेमेंट कर दिया और 18000 रुपए नो कॉस्ट ईएमआई करवाए है, तो हमें हर महीने ₹3000 ईएमआई के माध्यम से भुगतान करने होंगे।

और अगर हमने 48000 की पूरी राशि को नो कॉस्ट ईएमआई में तब्दील किया है,तो हमें ₹8000 हर महीने ऐसे 6 महीने तक बैंक को देने होंगे।

अभी आप यह सोचोगे कि इसमें तो मेरे सिर्फ 48000 ही खर्च हुए है, तो मुझे इसमें ब्याज कहां पर लगा इसमें तो हमारा फायदा ही हुआ।

लेकिन यह पूरी तरह से सच नहीं है। अगर हम क्रेडिट कार्ड से नो कॉस्ट ईएमआई करते हैं तो क्रेडिट कार्ड के स्टेटमेंट में हमें इस ईएमआई की राशि प्रिंसिपल अमाउंट और इंटरेस्ट ऐसी अलग-अलग दिखाई देती है। इसका मतलब बैंक हम से ब्याज लेता है।

आखिर बैंक ऐसा क्यों करता है ? रिज़र्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने 2013 में एक सर्कुलर जारी किया था। इस सर्कुलर के मुताबिक शून्य प्रतिशत ब्याज़ की कोई भी संकल्पना नहीं है। रिज़र्व बैंक कहता है की बैंक क्रेडिट कार्ड द्वारा दिए जानेवाले नो कॉस्ट ईएमआई को गलत तरीके से पेश किया जाता है। प्रोसेसिंग फी के नाम पर ब्याज लिया जाता है।

नो कॉस्ट ईएमआई पे GST –

भारत सरकार के अनुसार ईएमआई से मिलनेवाले ब्याज बैंक का फ़ायदा होने के कारन इस ब्याज पे हमें GST देनी पड़ती है।
जब भी आप क्रेडिट कार्ड से नो कॉस्ट ईएमआई की सुविधा लेते हो, तो अपने क्रेडिट कार्ड के स्टेटमेंट में GST की राशि भी देख पाएंगे। यह GST बैंक हम से जो ब्याज ले रहा है ,उस राशि पे निर्भर करती है। ब्याज पर 18 % GST देनी पड़ती है।

नो कॉस्ट ईएमआई के फायदे एवं नुकसान क्या होते हैं? (No cost EMI meaning in hindi)

नो कॉस्ट ईएमआई में कस्टमर,दुकानदार, जिस कंपनी का प्रोडक्ट है वह कंपनी और बैंक यह चार लोग शामिल है।
अभी हम जानेंगे कि इस खरीदारी में इन चारों में से किसका फायदा हुआ और किसका नुकसान हुआ। अगर फायदा हुआ तो कैसे और नुकसान हुआ तो कैसे?
नो कॉस्ट ईएमआई पर हम कब प्रोडक्ट खरीदे करते हैं? जब हमारे पास पैसे कम हो तभी।
इसका मतलब आप के पास पैसे ना होते हुए भी अपने दुकानदार से माल खरीद लिया। इस खरीददारी में दुकानदार को उस प्रोडक्ट की बिक्री प्राप्त हुई। इस प्रोडक्ट की बिक्री के माध्यम से दुकानदार को उसका मुनाफ़ा प्राप्त हो गया। और आपको पैसे ना होते हुए भी प्रोडक्ट इस्तेमाल करने को मिल गया।
आपको 3 से 24 महीनों में बैंक को आसान किस्तों की माध्यम से पैसों का भुगतान करना होता है।
अभी हमने कस्टमर और दुकानदार का फायदा जान लिए। उसके बाद हम कंपनी और बैंक का फायदा और नुकसान जानेंगे।
नो कॉस्ट ईएमआई की वजह से कंपनी के महंगे से महंगे प्रोडक्ट भी आसानी से बिक जाते हैं क्योंकि महंगा प्रोडक्ट किस्तों में देने की वजह से हमें वह खरीदने में आसानी होती है।
इसी वजह से कंपनी के प्रोडक्ट की बिक्री बढ़ती है।
नो कॉस्ट ईएमआई कंपनियों के वस्तुओं की बिक्री बढ़ता है। कंपनियों के लिए नो कॉस्ट ईएमआई काफी लाभ कारक होता है।
अभी हम जानेंगे कि इसमें बैंक का क्या फायदा होता है।
नो कॉस्ट ईएमआई पे प्रोडक्ट खरीदने वाला व्यक्ति ‘ईएमआई’ के सिस्टम को जान समझ कर उसे इस्तेमाल करता है।
यह जानकारी बैंक के लिए बहुत लाभदायक होती है। बैंक इस खरीददारी में तो मुनाफा नहीं कमाते हैं, लेकिन बैंक को पता चल जाता है कि यह व्यक्ति ‘ईएमआई’ पर वस्तुएं खरीदता है। फिर बैंक हमें कॉलिंग करके उसके और भी लोन हमें लेने के लिए बोलता है। जैसे की पर्सनल लोन,टू व्हीलर लोन, कार लोन,होम लोन, बिजनेस लोन इत्यादि।
मतलब इस नो कॉस्ट ईएमआई के खरीदारी के बाद बैंक को हमारी जानकारी प्राप्त होती है, यह बैंक के लिए काफी फायदेमंद होता है।
आपने अक्सर देखा होगा कि नो कॉस्ट ईएमआई किसी भी कंपनी के सभी प्रोडक्ट्स पर मौजूद नहीं होता है। यह नो कॉस्ट एमी कंपनी की चुनिंदा मॉडल पर ही मिलता है। आपने कहीं बार ऐसा सोचा भी होगा कि ऐसा क्यों होता है?
ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कंपनी को वह प्रोडक्ट आप को बेचना है इसलिए वह नो कॉस्ट ईएमआई की सुविधा हमें प्रदान करती है। जैसे की वस्तू की बिक्री के बाद दुकानदार को उसका फायदा प्राप्त होता है। वैसे ही कंपनी को भी उसे बिक्री से फायदा होता है। लेकिन जैसे-जैसे महंगाई बढ़ती है लोगों की वस्तु खरीदने की क्षमता कम होने लगती है। लोगों के पास ज्यादा पैसे ना होने के कारण वह महंगी चीज खरीद नहीं सकते हैं। लोगों के खरीदने से ही इकोनामी चलती है और यह चलती रहने के लिए ही दुकानदार और कंपनी को बैंक का सहारा लेना पड़ता है।

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